परम पूज्य श्री गोपालानंद सरस्वती जी महाराज

 जीवन परिचय 
   

31 वर्षीय  गो पर्यावरण एवं अध्यात्म चतना पद यात्रा एक नजर गोमाताजी की परम कृपा से धर्म, ज्ञान, दया, प्रेम, संस्कार, अन्न परिपूर्ण रहने वाले भारतवर्ष में दीर्षधकाल तक विदेशी आसुरी संस्कृति का शासन रहा । वह श पुगल, अंग्रेजों ने यहां की मूल संस्कृति को छिन्न-भिन्‍न किया और गोमाताजी के वध को बढ़ावा दिया तथा गोमाताजी के ज्ञान को समाप्त किया। परिणाम स्वरूप यह देवभूमि आसुरी ताकतों से परिपूर्ण होने लगी है। लोग गोमाताजी के महत्व को भूलकर गोमाताजी को सूना, लावारिस, छोड़ने लगे, कष्ट पहुंचाने लगे, कत्ल करवाने लगे। इन सब स्थितियों से क्षुब्ध होकर पूज्य गुरूदेव जी ने हमारे दादा गुरूदेव स्वामी रामज्ञानतीर्थ जी महाराज से अनुमति लेकर सम्पूर्ण भारत वर्ष में गोमाताजी की महिमा को स्थापित करने हेतु ढ़ाई लाख किलोमीटर लम्बी ३१ वर्षीय अखण्ड गो-पर्यावरण चेतना पदयात्रा का संकल्प किया। मुख्य यात्रा के साथ ६ उपयात्राएं भी गुरुदेव जी के मार्ग दर्शन में चल रही है।