सारे ग्रन्थों का सार है गोकथा*
सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 241 वें दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि आज विश्व मृदा दिवस,,स्वयंसेवक दिवस एवं व्यसन मुक्ति दिवस तीन दिवस है और तीनों का सम्बन्ध किसी न किसी प्रकार से भगवती गोमाता के साथ है । विश्व मृदा दिवस है और मृदा यानी मिट्टी मानव जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण संसाधन है। जीवन में मिट्टी के महत्व के बारे में बताने और इसके गुणवत्ता को बचाने के लिए एवं बढ़ता प्रदूषण, कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग और अन्य कई कारणों से मिट्टी की गुणवत्ता गिरती जा रही है जिससे दुनिया कि मिट्टी बंजर हो रही है ,मिट्टी मर रही है और उस मृत मिट्टी में गोमाता का गोबर एवं गोमूत्र डालकर पुनः उसे जीवित कर सकते है और स्वयंसेवक दिवस पर देश के सभी व्यक्ति गोमाता की सेवा कर गोमाता से प्राप्त पंचगव्य से मिट्टी की उर्वराशक्ति को बढ़ाया जा सकता है और जिसने गो का संग कर लिया तो वह अपने आप व्यसन मुक्त हो सकता है अर्थात गायमाता एक स्वयंसेवक के माध्यम से विश्व की मृदा जो रासायनिक खाद एवं कीटनियंत्रक डालने से मृत हो गई है उसे पुनर्जीवित कर सम्पूर्ण दुनियां को व्यसन मुक्त कर सकता है,क्योंकि गायमाता का दूध सभी व्यसनों से मुक्त कर देता है ।
पूज्य महाराज जी ने बताया कि गो कथा खुद को सुनाने की कथा है ,यानि गो कथा खुद को सुनाओ, व्यथा को मिटाओ , आनन्द पाओ, परमात्मा को पा जाओ क्योंकि गो कथा सारे वेदों का,सारे उपनिषदों का,सारे पुराणों का,सारे मार्गदर्शक ग्रन्थों का,सारे लोक ग्रंथों का सार है भगवती गोमाता की कथा इसलिए इस कालिकाल में गोकथा कहना,गो कथा सुनना दोनों ही आनन्द का विषय है, इसलिए सभी कहो,सभी सुनो। गोकथा कहने के लिए कोई व्यास पीठ की जरूरत नहीं है,गोकथा कहने के लिए गोबर पीठ की आवश्यकता है ।
स्वामीजी ने बालक की कुआं पूजन कथा में बताते हुए कहां कि गो माता के कुमुद(कंधे) में 27 नक्षत्रों का निवास है,इसलिए जिसने गोमाता की सेवा कर ली उसको किसी भी ग्रह,नक्षत्र का प्रभाव नहीं पड़ता अर्थात गोमाता सभी समस्याओं का समाधान है और हमारे धर्म ग्रंथों ने भी गोमाता में 33 कोटि देवताओं का निवास माना है इसलिए जब कोई भी पूजा हो तो उसमें गणेश पूजन के बाद गौपूजन करें उसके बाद ही अन्य पूजन करे क्योंकि गोमाता की पूजन से 33 कोटि देवताओं की पूजन हो जाती है ।
*240 वें दिवस पर राजस्थान के राजसमंद जिले के पिपलिया डोडियांन की सरपंच श्रीमती सन्तोष बाई प्रजापत अतिथि उपस्थित रहें *
*आगर विधायक मधु गहलोत के पुत्र कुंवर लक्की सिंह के विवाहोत्सव के शुभावसार पर आगर जिले के प्रभारी मंत्री नागर सिंह जी एवं गो अभयारण्य प्रबंधक शिवराज शर्मा,पूनम सिंह एवं राजेन्द्र विश्वकर्मा ने विवाह की मंगल वैला पर गोमाता की छवि देकर पुत्र के विवाह की शुभकामनाएं दी*
*241 वे दिवस पर चुनरीयात्रा राजस्थान से*
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 241 वें दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के राजसमंद। के भामाखेड़ा से श्री बालाजी ग्रुप महिला मंडल एवं श्रीमती सन्तोष बाई प्रजापत सरपंच पिपलिया डोडियांन (राजसमंद) ने अपने परिवार के साथ सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।