भारतीय देशी बीज संरक्षण के कारण ही भारत सोने की चिड़िया कहलाता था*
सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित गो रक्षा वर्ष के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 232 वे दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि भारतीय संस्कृति बीजों को संरक्षित करने की रही है । पूर्व में भी भारतीय बीज लुप्त हो गए थे लेकिन राजा पृथ्यू ने पृथ्वी को गो रूपिणी बनाकर पुनः बीज प्राप्त किया था जिसका वर्णन श्रीमद भागवत में महर्षि वेदव्यास जी ने किया है । बीज से मंत्र सुरक्षित है, बीज से सृष्टि सुरक्षित है लेकिन विदेशी कंपनियों के मकड़जाल एवं लोकतंत्र के जनविरोधीनियमों की उदासीनता के चलते बीजों पर कुछ लोगों का कब्जा हो गया है अर्थात उन कंपनियों द्वारा ऐसे बीज तैयार कर रहें है जो स्वयं तो पैदा हो जाते है लेकिन उनके बीज दुबारा नहीं उगते है जिन्हें बांझ बीज भी कहते है।20 रूपए की बीज को किसान पांच सो रूपए में खरीदने को मजबूर होता है और उस बीज को दूसरी बार बौने से कुछ पैदा नहीं होता है इन विपरीत परिस्थितियों में परम्परागत जो लाखों वर्षों से बीजों को को सुरक्षित रखने की परम्परा रही जिसके कारण भारत की कृषि समृद्ध रहीं है और उसी के कारण भारत सोने की चिड़िया रहा है और उस समय भारत में इतनी कृषि हुआ करती थी उससे अपना सारा खर्च कर बचा हुआ धन सोने में निवेश करता था जिसके कारण ही भारत सोने की चिड़िया कहलाता था जिसके कारण भारत में पर्याप्त सोना हुआ करता था जिसके कारण ही भारत सोने की चिड़िया कहलाता था जिसका मूल आधार बीज ही था ।
स्वामीजी आगे बताया कि अमृत की दाता गायमाता ही है रूखा सूखा तृण खाती है ओर बदले में अमृत प्रदान करती है चाहे वह पय के रूप में है चाहे गोमय के रूप है चाहे वह गोमूत्र के रूप में है तीन प्रकार से अमृत की वर्षा करने वाली भगवती गोमाता भारत को विष से बचा भी सकती है और पुराने विष का समन भी कर सकती है अर्थात पुराने विष का समन कर भारत भूमि को अमृत बना सकती है । इसलिए हम पुनः गायमाता के गोबर,गोमूत्र एवं छाछ का उपयोग कर प्राकृतिक रूप से भारतीय कृषि को बढ़ाकर हमारी कृषि को अमृत बरसा सकती है ।
*232 वे दिवस पर भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय बीज प्रमुख श्री कृष्ण मुरारी जी भाईसाहब भटिंडा एवं श्री पवन टांक , श्री राम शान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र कोटा व उनकी श्रीमती दुर्गा टांक एवं पिड़ावा के पूर्व विधायक मानसिंह चौहान के सुपुत्री मदन सिंह चौहान मुख्य अतिथि एवं गजेन्द्र कुमार शर्मा, सुरेश चन्द शर्मा ग्राम झुमकी (झालावाड़) कालूराम महाराज, कन्हैया लाल जी पुजारी ठिकरिया अतिथि उपस्थित रहें*
*विगत देवउठनी एकादशी को सालरिया ग्राम के श्रीराम मन्दिर में विराजित शालिग्राम जी भगवान के साथ गो अभयारण्य के प्रबन्धक शिवराज शर्मा एवं श्रीमती मधुबाला ने मां तुलसी के भाव माता पिता के रूप में विवाह करवाया था आज एकादशी के पुण्य पर्व सालरिया ग्राम के गो भक्त प्रेमीजन विशाल जुलूस के साथ नाथू सिंह जी, रामलाल जी भगत जी, भरत शर्मा , रामचंद्र पुजारी,लाल सिंह,,श्याम सिंह, बने सिंह एवं हेमराज आदि मां तुलसी को ठाकुर जी के साथ गो अभयारण्य में अपने पीहर पधारी जिनका आचार्य किरण जी एवं मुखिया किरण कृष्ण जी व मधुबाला शिवराज शर्मा ने स्वागत कर कथा मंच पर विराजित किया*
*232 वे दिवस पर चुनरीयात्रा मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले की ओर से *
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 232 वें दिवस पर चुनरी यात्रा मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले की सुसनेर तहसील के मैना ग्राम स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के बालक बालिकाओं द्वारा विद्यालय के प्रधानाचार्य नंदकिशोर शर्मा एवं शिवनारायण कटारिया,, मानसिंह कटारिया, रामकिशन दामडिया, कमल सिंह, हेमसिंह सिसोदिया एवं भारती जी वर्मा आदि आचार्यों व सालरिया ग्राम के लाल सिंह जी के परिवार से उनके सुपुत्र बने सिंह ,शयन सिंह ने अपने परिवार एवं ग्राम मंडल की मातृशक्ति , युवा एवं पंच पटेलो की और से अपने परिवार की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।