देह के मैं पन को भूलकर वास्तविक स्वरूप को पहचाने हम* - स्वामी गोपालानंद सरस्वती
सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 301 वें दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि हम हमारे देह के मैं पन को भूलकर हमारे वास्तविक स्वरूप को पहचाने,हम क्या है, कौन है,कहां से आएं है,किसलिए आए है,हमें करना क्या है,,कब तक करना है, कैसे करना है और अन्त में हमें कहा जाना है इस पूरे तथ्य को समझने के लिए ही मानव जीवन का वास्तविक लक्ष्य है,हम धरती पर भोजन करने,पहलवानी करने,सम्मान पाने नहीं आएं है और हम का मतलब यह भौतिक शरीर रूपी देह मिला है वह अपना नहीं है और मिली हुआ कोई भी अपना नही होता है और देने वाला उसे किसी बहाने से वापस ले लेता है इसलिए हम निष्काम नहीं हुए,मन को पवित्र नहीं किया तो हम परेशानी में पड़ जाएंगे अर्थात जीवन शुद्ध नहीं होगा तो हम बुद्ध नहीं बन पाएंगे इसलिए बुद्ध बनने के लिए हृदय को कामना रहित बनाकर सेवा में लगना होगा।
स्वामीजी ने आगे बताया कि संत एवं गौ दोनों एक ही है अर्थात जो गुण संतो में होते है वही गुण गौ में होते है , जिस प्रकार संत हितकारी होता है,वैसे ही गोमाता भी हितकारी है यानि गोमाता थोड़ा भूसा खाकर हमें बदले में गोबर देती है और उस गोबर की दिव्य महिमा को समझ लिया तो कहना ही क्या अर्थात जिस गोबर से गुरु गोरखनाथ जी प्रगट हुए और आज उनके कुल को गौरवान्वित करने के लिए एक संत योगी के साथ राजा भी है और हम भगवान गोरखनाथ जी से प्रार्थना करते है कि वह योगी एक दिन देश का राजा बने जो आज उत्तर प्रदेश का राजा है और गोबर की सामान्य महिमा समझे और उस गोबर को फसल में डालेंगे तो फसल सुधर जाती है और जीवन में डालेंगे तो नस्ल सुधर जाएगी उसी प्रकार संत भी धरती पर पधारते है तो भगवान उन्हें दूसरों के कल्याण के लिए ही भेजते है ,इसी प्रकार गोमाता भी गोलोक का सारा सुख छोड़कर दूसरों के डंडे खाकर भी हमारा कल्याण करने के यह धरती पर इसलिए आती है कि हमें इनकी सेवा मिल जाएं और इनकी निष्काम रहकर सेवा की जाएं तो हमारा जीवन चमका देती है ।
*ग्वाल शक्ति सेना में 5 हजार पूर्ण गोव्रती कार्यकर्ताओं की श्रृंखला में महाराष्ट्र के हिंगोली जिले की सोनगाव तहसील प्रभारी किरण जी इंगोले, कडमनुरी बंशी चव्हाण ,शंभाजी नगर जिला प्रभारी यश बायस, परमेश्वर नलावडे तहसील प्रभारी पैठण(शंभाजी नगर),अंकुश नाडे तहसील प्रभारी धाराशीव,मध्यप्रदेश के हरदा जिले से गोपाल नागर सिरकंबा,दिनेश मालाकार टिमरनी, ईश्वर मालाकार,राजस्थान के कोटा जिले की रामगंजमंडी से बजरंग लाल भील,उदयपुर जिले के भींडर निवासी आनन्द कुमार चौबीसा वल्लभनगर तहसील प्रभारी,चुरु जिले की तारानगर तहसील के भालेरी से हनुमान प्रसाद,कमलेश स्वामी आदि की नियुक्ति की उद्घोषणा हुई*
*श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा ,कामधेनु गो अभयारण्य ,धेनु देवी फाउंडेशन एवं दृष्टिदेवी फाउंडेशन के तत्वाधान में विश्व के प्रथम गो अभयारण्य में चल रहें ग्वाल प्रशिक्षण शिविर के तृतीय दिवस पर साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती एवं गोवत्स बालकृष्ण जी महाराज ने प्रशिक्षण दिया*
*301 वें दिवस पर हरनाथ सिंह राजपूत,कानसिंह राजपूत सुई गांव (नलखेड़ा)
महेन्द्र सिंह चौहान
ग्राम चांदखेड़ी बुजुर्ग
तहसील शामगढ़ जिला मंदसौर आदि अतिथि उपस्थित रहें*
*301 वे दिवस पर चुनरी यात्रा मध्यप्रदेश से*
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 301 वें दिवस पर चुनरी यात्रा मध्यप्रदेश के बदनावर से बी.एस. TV चैनल मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ के ब्यूरो चीफ़ विक्की राजपुरोहित अपनी माता श्रीमती ऊषा एवं पिता सुरेश चंद्र राजपुरोहित एवं राजेन्द्र जाट, राजू जाट के परिवार के साथ एवं मन्दसौर जिले की चांदखेड़ी बुजुर्ग की मातृशक्ति एवं सुसनेर तहसील के आकली ग्राम की महिला मंडल एवं परसूलिया ग्राम के जमुना प्रसाद शर्मा के परिवार की ओर से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।