श्रीमद भागवत कथा बदला लेने के बजाय स्वयं को बदलने का संदेश देती है* – स्वामी गोपालानंद सरस्वती “जिनके भाग्य प्रबल होते है वही तीर्थराज पुष्कर आ पाते है* – स्वामी गोपालानंद सरस्वती
पुष्कर/20 सितम्बर,तीर्थराज पुष्कर के शीतल आश्रम में देवभूमि उत्तराखंड के देहरादून के मंगल परिवार के मुख्य यजमानतत्व में 31 वर्षीय गो पर्यावरण एवं अध्यात्म चेतना पदयात्रा के प्रणेता एवं गोपाल परिवार संघ के संरक्षक एवं संस्थापक ग्वाल सन्त पूज्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती महाराज के मुखारविंद से चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद गो भागवत कथा के समापन दिवस पर स्वामीजी ने बताया कि कथा सुनने से भगवान के प्रति प्रेम बढ़ता है और जब प्रेम बढ़ता है तो प्रभु को पाने की तड़फन बढ़ती है और भगवान को पाने का सबसे बड़ा साधन गो ही है अर्थात् गाय की कथा से गोविन्द को पाना सहज है क्योंकि गो ही गौरी है और जहां मां है तो वे सब कष्टों का निवारण करती है यानि इस संसार में गाय ही ऐसा दिव्य स्वरूप है जिसके बच्चा जन्मते ही वह मां…पुकारता है अर्थात वह संकेत देता है कि गाय मेरी ही नहीं बल्कि सर्व जगत की मां है ।
स्वामीजी ने रूक्मणी कृष्ण विवाह उत्सव के प्रसंग में बताया कि रूक्मणी विवाह में प्रजापति ब्रह्माजी महाराज की अहम भूमिका रही है अर्थात सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी महाराज ही रूक्मणी जी के भाव पिता हुए है और ब्रह्मा जी महाराज के पुरोहित साक्ष्य में ही रूक्मणी कृष्ण का विवाह सम्पन्न हुआ था इसलिए जिनके भाग्य प्रबल होते है,वहीं तीर्थराज पुष्कर आ पाता है ।
स्वामीजी ने श्रीमद गो भागवत कथा के समापन पर सभी सनातनियों को संदेश दिया कि श्रीमद भागवत ही ऐसा सदग्रंथ है जो हमें बदला लेने की बजाय स्वयं को बदलने का मार्ग दिखाती है इसलिए हमने सात दिनों तक जो भागवत प्रसाद श्रवण की है उसे हमारे जीवन को बदलकर इस जीवन को भगवती को माता की सेवा में लगाएं ।
समापन दिवस पर सिद्धेश्वर गोशाला के संस्थापक महामंडलेश्वर पूज्य महंत श्रीराम बालक दास जी महाराज,श्रीराम कथा वक्ता सत्यगोपाल जी महाराज, संन्यास आश्रम से बबीतानंद जी महाराज,दरियाव रामस्नेही आश्रम से हरजीराम जी महाराज, पुष्कर स्थित सिद्धेश्वर गोशाला एवं श्रीपुष्करराज गोशाला समिति के पदाधिकारियों सहित, सहित देश के विभिन्न राज्यों से सैकड़ों गो भक्तों एवं माता बहिनों ने भाग लिया अन्त में यजमान परिवार ने श्रीमद भागवत की आरती के बाद हनुमान जी महाराज को नव खंडिय हनुमान जी मंदिर पुष्कर पदार्पण किया और अन्त में सभी ने भगवान का प्रसाद ग्रहण किया ।