दवा देवी फाउंडेशन देशभर में चल रहें गो चिकित्सालयों को दवा उपलब्ध कराएगा*
सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित गो रक्षा वर्ष के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 231 वे दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने षष्ठी पूजन का महत्त्व बताते हुए कहां कि भगवान नारायण ने अपने श्रीमुख से नारद ऋषि को षष्ठी माता की कथा सुनाई थी । षष्ठीमाता भगवान शिव पार्वती की पुत्रवधु एवं कार्तिकेय जी की अर्द्धांगिनी है और देवराज इन्द्र एवं शशि की पुत्री है और षष्ठीमाता एवं गोमाता का गहरा सम्बन्ध है अर्थात गायमाता के बिना षष्ठीमाता की पूजा नहीं हो सकती और गायमाता प्रसन्न हो गई तो वह सकल कामनाओं की पूर्ति कर देती है , इसलिए षष्ठी पूजा ही नहीं अन्य कोई भी पूजा घर में हो उस पूजा के बाद अपने घर के बड़े बुजुर्गों को प्रणाम करके फिर गोमाता को हरा या सूखा चारा खिलाकर उसे प्रणाम करें और प्रार्थना करें कि हैं मां मैने जो पूजा की है उसे आप स्वीकार कर मुझे आशीर्वाद दीजिए तो भगवती गोमाता आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेगी और स्वामीजी ने बताया कि अगर किसी भी प्रकार की पंचोपचार पूजा के साधन घर में न हो तो गोमाता के गव्य दही से पूजा कर दीजिए पूजा का सारा फल आपको मिल जाएगा क्योंकि आजकल बाजार में जो भी पूजा सामग्री मिल रही है उन सब में मिलावट रहती है इसलिए गोमाता का दही सौम्य पुष्प के रूप में पूजा के लिए उपयोगी होता है ।
पूज्य स्वामीजी ने गोमाता के गोबर की महिमा के बारे में बताते हुए कहां कि जब से हमारे ऊपर पश्चिम संस्कृति एवं मैकाले शिक्षा पद्धति का प्रभाव पड़ा है तब से एक गोबर के बारे में एक भ्रांति फैलाई जाती है अर्थात कोई भी काम बिगड़ जाता है तो उस समय गुड़ गोबर हो गया है इस प्रकार की कहावत कही जाती है जबकि गोबर की महिमा के बारे में तो वराह पुराण में साक्षात नारायण पृथ्वी माता को बताते है कि जो कोई किसी भी देवालय को लीपने के लिए जितने कदम चलकर गोबर लाता है उतने हजार कदमों तक उसके स्वर्ग में निवास मिलता है और उसके बाद उसे साल्वदीप में 12000 वर्ष तक राज करने का अवसर मिलता है क्योंकि साल्वदीप में रहने वालों की आयु 12000 वर्ष की आयु होती है ।
*देशभर में जितने भी युवा एवम् गोप्रेमी सज्जन बीमार गोमाता की सेवा कर रहें है ,उन्हें दवाइयों की समस्याओं से जूझना पड़ता है उनकी दवाओं की समस्याओं के समाधान के लिए पूरे देश में चलने वाले गो चिकित्सालयों की दवाई की समस्या के समाधान के लिए *दवा देवी फाउंडेशन* का गठन साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती जी के मार्गदर्शन में हुआ और उसके बीजारोपण में बलराम जी चौधरी,मालाराम जी चौधरी, नरेन्द्र जी चौधरी, पण्डित किरण जी आचार्य एवं किरणकृष्ण जी मुखियाजी उक्त पंच स्तम्भ साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती दीदी का सहयोग करेंगे उक्त घोषणा पूज्य स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने गोबर पीठ से की*
*231 वे दिवस पर हनुमान राठौर कोटा, भरत राठौर रामगंजमंडी, श्यामसिंह रमाय दलपत, भगवान सिंह राठौड़, जगदीश शर्मा बिस्तुनिया, मनीष राठौर, जितेन्द्र सिंह, बाल चंद एवं मुमताज आदि अतिथि उपस्थित रहें*
*231 वे दिवस पर चुनरीयात्रा राजस्थान के झालावाड़ जिले की ओर से *
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 231 वें दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान की डग तहसील के रतनपुरा ग्राम की महिला मंडल की और से अपने परिवार की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।