गोमाता को मां मानकर उनकी सेवा करें सभी वैष्णवजन*- पूज्यपाद गोस्वामी वत्सल बाबा
सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित गो रक्षा वर्ष के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 227वे दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि गायमाता राष्ट्रमाता के पद पर स्थापित हो इसके लिए जगद्गुरु शंकराचार्य जी सहित गोपालमणि जी महाराज सहित देश के सभी गो प्रेमी सन्त महात्माओं के साथ देश का जनमानस भी जागृत हो गया ही और उसी का एक परिणाम आज राजस्थान के झालावाड़ जिले के राष्ट्रीय कमांडों फोर्स झालावाड़ जिले के तत्वाधान में जिले के गो भक्तों द्वारा असनावर से झालावाड़ तक विशाल वाहन रैली निकलकर जिला कलेक्टर झालावाड़ को गायमाता को राष्ट्रमाता के पद पर स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपा ।
स्वामीजी जी ने बताया कि आज भारत के महान क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ का जन्म दिवस भी है । ठाकुर केसरी सिंह बारहठ (२१ नवम्बर १८७२ – १४ अगस्त १९४१) भारत के एक क्रान्तिकारी और स्वतंत्रता सेनानी थे, वे एक प्रख्यात राजनीतिज्ञ, कवि, विचारक व लेखक थे। इन्हें 'राजस्थान केसरी' के नाम से भी जाना जाता है,उनके भाई जोरावर सिंह बारहठ, जिनको राजस्थान का चन्द्रशेखर आज़ाद भी कहा जाता है, उनके पुत्र कुँवर प्रतापसिंह बारहठ और जमाता ईश्वरीसिंह आशिया ने सम्पूर्ण परिवार सहित भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में महती भूमिका निभायी। आज भारत के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी वैज्ञानिक डॉक्टर सी.वी रमण का निर्वाण दिवस भी है भारतमाता के राष्ट्रवादी दोनों सपूतों को वन्दन करते हुए महाराज जी ने चल रहें राष्ट्रीय नवजात शिशु देखभाल सप्ताह के सातवें दिवस पर नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए भगवती गोमाता की भूमिका के बारे में बाल कल्याण कथा में बताते हुए स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती ने कहां कि बालको जन्म होने से 17 वर्ष की आयु में बच्चों को लगने वाली ग्रही(वायरस) एवं उसने निवारण में गोमाता की भूमिका क्या रहती है उसके बारे में बताते हुए कहां कि नवजात शिशुओं को जन्म से वयस्क अवस्था तक लगने वाले समस्त ग्रही का उल्लेख अग्निपुराण के साथ साथ आयुर्वेद के महान ज्ञाता आचार्य सुश्रुत ने भी अपने ग्रन्थों में उल्लेख किया है और इसे वर्तमान में मेडिकल की शिक्षा ग्रहण कर रहें भावी चिकित्सकों को भी पढ़ाया जा रहा है और आचार्य सुश्रुत ने स्पष्ट लिखा है कि जिस घर में गोमाता है उसमें तो किसी प्रकार की ग्रही का प्रभाव नहीं पड़ता है ।
स्वामीजी ने आगे बताया कि कि आजकल भलाई का जमाना नहीं है, इसलिए श्रेष्ठिजनों को भलाई करते समय भी सावधानी बरतनी चाहिए साथ ही भलाई करने वालों के साथ ज्यादा अति नहीं करनी चाहिए बल्कि उसका उत्साहवर्धन करके उसका सहयोग करके उसका मनोबल बढ़ाना चाहिए ।
महाराज जी ने बताया कि आज के भौतिक युग में सबसे ज्यादा उपेक्षा गो आधारित खेती करने वालों की होती है अर्थात वे सात्विक अन्न सबको मिले उसके लिए भरपूर मेहनत करते है लेकिन अन्त में उन्हें अपनी मेहनत का फल नहीं मिलता है इसलिए हम सब जैविक खेती करने वालों का मनोबल बढ़ाकर उनके द्वारा उत्पादित अन्न को रासायनिक जहर से उत्पन्न अन्न से अधिक मूल्य देकर क्रय करना चाहिए ताकि हम हमारे स्वास्थ्य रक्षण के साथ साथ गो आधारित खेती करने वाले कृषकों को भी प्रोत्साहित करें जिससे वह और अधिक शुद्ध एवं सात्विक अन्न हमारे लिए पैदा करे साथ ही। महाराज जी ने किसानों से आह्वान किया कि देश में जो जो भी गो आधारित कृषि के जानकार है वे इस गो अभयारण्य में पधारकर यहां कृषि करें उन्हें उनकी क्षमता एवं योग्यता के आधार पर उचित अवसर एवं पारिश्रमिक दिया जाएगा और उनके द्वारा उत्पादित अन्न को उचित मूल्य दिलाने में गो अभयारण्य प्रबंधन विशेष सहयोग करेगा ।
*227 वे दिवस पर पिडावा से प्रकाश मूंदड़ा अपने परिवार के साथ एवं खरगोन जिले के सेगांव से विजेन्द्र यादव एवं जय प्रकाश यादव अतिथि उपस्थित रहें*
*227 वे दिवस पर चुनरीयात्रा राजस्थान एवं मध्यप्रदेश की ओर से *
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 227 वें दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के झालावाड़ जिले की झालरापाटना तहसील के देवर गांव की महिला मंडल ने भगवान सिंह गुर्जर के साथ एवं पिड़ावा नगर की मातृशक्ति व मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के नारायण गाँव से सिद्दू लाल. तोलाराम एवं सोनू ने अपने परिवार की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।