जिसके जीवन में अपना कोई हित हो वह कभी सेवा नहीं कर सकता
सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 325 वें दिवस पर पूज्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज ने बताया कि शिवरात्रि के दिन बिल्व पत्र चढ़ाने का बड़ा महत्व है, कई लोग सवा लाख बिल्व पत्र से भगवान शिव की पूजा करते है। भविष्य पुराण के उत्तर पर्व के 79वे अध्याय में स्पष्ट लिखा है कि लक्ष्मी से युक्त बिल्व के वृक्ष की उत्पति गौमाता के गोबर से हुई है।
कथा में महाराज जी ने बताया कि जब नंदीश्वर प्रकट हुवे तब प्रजापति ने महादेव को एक गौमाता ओर बेल दिया। तब महादेव जी प्रसन्न होकर बेल को अपना वाहन बनाया और उन्ही को अपनी ध्वजा का चिन्ह बनाया।
स्वामीजी ने आगे बताया कि महाशिवरात्रि के पर्व पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे है लेकिन किसी को यह सुध नहीं आई होगी कि भगवान शिव के प्राणाधार नंदी बाबा किस स्थिति में है। उस गो नंदी को भूल करके कोई कैसे शिवरात्रि का आनंद ले सकता है। वह लोग भाग्यशाली है जो इस अभ्यारण्य में 6 हजार गौमाताएं 2 हजार नंदी बाबा के बीच में बैठ करके शिवरात्रि मनाई है ।
पिछले एक माह से चल रहे ग्वाल प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे गौभक्त शिविरार्थियों को आज कथा में प्रमाण पत्र देकर सम्मान किया गया। इस शिविर में गौमाताओं को कैसे रखा जाता है, कब क्या खिलाना चाहिए, कैसे गौमाताओं का वर्गीकरण होना चाहिए, बीमार होने पर कैसे उपचार करना चाहिए, गर्भवती गौमाताओं की कैसे सेवा होनी चाहिए जैसे कई विषयों पर प्रैक्टिकल प्रशिक्षण जॉब गारंटी के साथ दिया गया।
23 मार्च से 12 अप्रैल तक का 21 दिवसीय द्वितीय ग्वाल प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा ।
आज कथा में क्रांतिकारी चंद्र शेखर आजाद जी की शहादत को नमन किया गया। इन्होंने कसम खाई थी कि अंग्रेजों के हाथ जिंदा नहीं आएंगे। सच में उन्होंने ऐसा कर दिखाया। प्रारंभ में इन्हों देश की आजादी के आंदोलन में अहिंसक रूप से कार्य किया लेकिन जल्द ही इन्हें समझ आ गया कि आजादी अगर लानी है तो खून बहाना पड़ेगा। केवल चरखा चलाने से आजादी नहीं मिल सकती ।
जिसके जीवन में अपना कोई हित है वह कभी सेवा नहीं कर सकता। चंद्रशेखर आजाद देश की सेवा इस कारण कर पाए की उनका अपना कोई इश्यू नहीं था। अपना मान, अपना सम्मान, अपनी इज्जत, अपना पद, अपनी प्रतिष्ठा, अपनी चाहत, अपने विचार, अपने मित्र, अपने शत्रु यह जब रहेगा तब तक एक कदम भी सेवा में हम आगे नहीं बढ़ सकते। अपने अस्तित्व को मिटा देना पड़ेगा मैं कौन हूं, क्या हूं । हमें खुद को भी याद नहीं रहना चाहिए तब जाकर हम सेवा कर सकते हैं। खुद को मिटा कर ही सेवा शुरू होती है जब तक मैं हूं तब तक सेवा का अंश भी प्रारंभ नहीं होता। सेवा करना और सेवा का सोचना तो बहुत दूर की बात है।
*325वे दिवस पर चुनरी यात्रा हरियाणा एवं मध्यप्रदेश एवं राजस्थान से*
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 325 वें दिवस पर हरियाणा के पानीपत से ओमप्रकाश शर्मा, सरोज जी, भारत भूषण एवं लसुड़िया गढ़वाल से माताएं बहने,देवास से गोपाल जी ,हुरा बा गौशाला व बड़ी से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।