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गाय को बचाना है तो पहले गोचर को बचाना होगा*- स्वामी गोपालानंद सरस्वती


गाय को बचाना है तो पहले गोचर को बचाना होगा*- स्वामी गोपालानंद सरस्वती 

पुष्कर/18 सितम्बर,तीर्थराज पुष्कर के शीतल आश्रम में देवभूमि उत्तराखंड के देहरादून के मंगल परिवार के मुख्य यजमानतत्व में 31 वर्षीय गो पर्यावरण एवं अध्यात्म चेतना पदयात्रा के प्रणेता एवं गोपाल परिवार संघ के संरक्षक एवं संस्थापक ग्वाल सन्त पूज्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती महाराज के मुखारविंद से चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद गो भागवत कथा के पंचम दिवस पर स्वामीजी ने बताया कि जब तक शरणागति का भाव नहीं आता तब तक ईश्वर को नहीं पाया जा सकता और गो एवं गुरु की शरणागति से ही ईश्वर को पाया जा सकता है साथ ही जब तक भारत में गो है तब तक ही भारत में सत्संग रहेगा क्योंकि जिस जिस देश में गो घटी हैं आज वे देश बारूद के ढेर में खड़े है और जिस देश में गो बढ़ी हैं वह देश समृद्धशाली हुए है जिसके प्रत्यक्ष उदाहरण अफ्रीका एवं ब्राजील का हमारे सामने है ।

स्वामीजी ने आगे बताया कि अगर गाय को बचाना है तो गोचर को बचाना होगा क्योंकि मुगलों एवं अंग्रेजों के शासनकाल में जितना गोचर सुरक्षित था लोकतंत्र के आने के बाद देश का गोचर घटता जा रहा है और आज गोचर की कमी के कारण गोमाता दर दर की टोकरे खा रही है साथ ही महाराज जी ने चेताया कि अंदरखाने में खबर चल रही है कि राजस्थान सरकार भी गोचर भूमि में कॉलोनी बसाने की योजना बना रही है लेकिन सरकार को इसके दुष्परिणाम को भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि ऐसी ही गलती मध्यप्रदेश के तत्कालिन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह(दिग्गी राजा) ने की थी जिसका परिणाम आप सब के सामने है और हमें भी सरकार के इन मनसूबे पर पानी फेरने के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि गाय की भूमि गो के लिए और उसको बचाने के लिए हमें तैयार रहना होगा।

श्रीमद गो भागवत कथा के पांचवें दिवस पर देवकी के आठवें गर्भ में कृष्ण का जन्म हुआ और सम्पूर्ण श्रोताओं ने धूमधाम एवं हर्षोल्लास से नंदोत्सव मनाया।


पंचम दिवस की कथा में श्रीरामसखे पीठाधीश्वर पुष्कर के आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य नन्द राम शरण जी देवाचार्य ने बताया कि हम सब सौभाग्यशाली है कि सृष्टि की रचयिता ब्रह्मा जी महाराज स्वयं नारायण के आग्रह पर पुष्कर की धरा पर पधारे है और इस पुण्य तीर्थराज पुष्कर में हमें भगवती गोमाता की महिमा पूज्य स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी के मुखारविंद से श्रवण करने का शौभाग्य मिल रहा है।

देवाचार्य ने आगे बताया कि जिस मनुष्य में मानवता हो वहां कोई जात पात नहीं होती है अर्थात जो हरि को भजता है वही हरि का हो जाता है इसलिए हमारा एक ही धर्म है वह है सनातन धर्म क्योंकि अगर देश में सनातन नहीं बचा तो फिर उसके दुष्परिणाम को भुगतने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए ।


पंचम दिवस पर श्रीरामसखे पीठाधीश्वर पुष्कर के आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य नन्द राम शरण जी देवाचार्य एवं उनके साथ वैष्णव संत, संन्यास आश्रम से बबीतानंद जी महाराज,दरियाव रामस्नेही आश्रम से हरजीराम जी महाराज, पुष्कर स्थित सिद्धेश्वर गोशाला एवं श्रीपुष्करराज गोशाला समिति के पदाधिकारियों सहित, सहित देश के विभिन्न राज्यों से सैकड़ों गो भक्तों एवं माता बहिनों ने भाग लिया अन्त में यजमान परिवार ने श्रीमद भागवत की आरती के बाद सभी ने भगवान का प्रसाद ग्रहण किया ।

श्रीमद गो भागवत कथा के पंचम दिवस 20 सितम्बर को रात्रि में भजन संध्या एवं 21 सितम्बर को श्रीमद गो भागवत कथा की पूर्णाहुति होगी ।