गोआधारित कृषि ही तीसरा विश्व युद्ध रुकवा सकती है
सुसनेर। मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन जी यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन वर्ष २०८१,चैत्र शुक्ला प्रतिपदा 09 अप्रैल 2024 से घोषित *गो रक्षा वर्ष* के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा,श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर स्थित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें *एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव* के 63 वें दिवस पर गोकथा में पधारे श्रोताओं को ग्वाल सन्त गोपालानन्द सरस्वती महाराज ने बताया कि हमारा देश परम्पराओं,दिव्य शक्तियों का देश रहा है। भारत अनादिकाल से गो का उपासक रहा है, हमारे देवता राम,कृष्ण ने भी अपने निज हाथो से गो की सेवा की है अर्थात गोमाता सब देवताओं की देवता है,गो इष्ट की भी ईष्ट है ।
स्वामीजी ने बताया कि आज विश्व भू गर्भ जल दिवस मना रहा है । यानि धरती का जो जल डार्क जॉन में जा रहा है और धरती का वाटर लेवल 600फिट से भी अधिक नीचे चला गया है,उससे विश्व दु:खी है ।भू जल कैसे रिचार्ज हो इसके चिंतन के लिए विश्व आज भू गर्भ जल दिवस मना रहा है । कोई आवश्यकता नहीं है इन सब की । सच तो यह है कि गाय माता पर्याप्त है धरती के जल को ऊपर उठाने के लिए ।आप कहेंगे कि कैसे तो इसका जवाब है कि विश्व स्तर पर आप गो आधारित कृषि की परम्परा बना लीजिए डायअमोनियम,फास्फोरस व नाइट्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध लगा लीजिए अर्थात पूरे विश्व के फर्टिलाइजर केमिकल का उत्पादन हो रहा है ,उसे बंध कर दीजिए क्योंकि इसके कारण धरती पर किसान मित्र कहें जाने वाले केंचुए के मरने के साथ साथ मृदा की जो संरचना होती है वह बदल जाती है और मिट्टी इतनी कड़क हो जाती है कि जल को भीतर प्रवेश करने से रोकती है , मिट्टी की खुद की जल क्षमता कम हो जाती है परिणाम स्वरूप भू जल घटता चला जाता है । वास्तव में *हमें आने वाले तीसरे विश्व युद्ध से बचना है तो हमे जल संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे क्योंकि तीसरा विश्व युद्ध जल के लिए ही होगा और इससे बचने का सबसे सुन्दर एवं उत्तम साधन गोमाता ही तो है तो आइए आज हम सब विश्व भू गर्भ जल दिवस पर संकल्प ले कि परमात्मा हमें सद बुद्धि दे ताकि हम अपने नित्य उपयोग में आने वाले अन्न,फल,सब्जियां गो आधारित कृषि की ही ले । और उसके लिए हम सब घर पर गोमाता की सेवा करे ,जिसके माध्यम से हम अपने सतगुणों की वृद्धि करें क्योंकि गायमाता के बीच रहने से सत गुणों का विकास होता है। इसलिए तो *गो को मनुष्य का परम धन बताया है*
स्वामीजी ने कहां कि द्रोपदी के चीर हरण के समय केवल एक ही दुशासन था आज तो लाखों करोड़ो दुशासन भगवती गोमाता का चीर हरण कर गोमाता का वध कर रहे है और उसके लिए प्रत्येक सनातनी को गो तस्करी कर गो का वध करने वालो का डटकर मुकाबला करना होगा ताकि हमारी गोमाता इन कसाइयों से अपने प्राण बचा सके ।
*63वें दिवस पर चुनरी यात्रा उत्तर प्रदेश ,राजस्थान एवं मध्यप्रदेश राज्यों की ओर से*:-
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 63 वें दिवस पर उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के महोली के सुरभि गो अनुष्ठान सेवा समिति के अध्यक्ष अजय प्रकाश गुप्ता के नेतृत्व में राजेश कुमार अग्रवाल,,अनिल कुमार अग्रवाल,, नीरज बाजपेय, शैलेन्द्र रस्तोगी, शंकर लाल वर्मा, हरिशंकर वाजपेय,,सुरेश अवस्थी,, साकेत सिंह, बलराम मिश्रा एवं पंकज मिश्रा,मध्यप्रदेश के आगर से श्रीमती अलका नवीन जोशी ने अपनी 25वीं विवाह वर्षगांठ पूर्ण होने पर अपने परिजन के साथ चुनरी यात्रा एवं राजस्थान के झालावाड़ जिले की पिड़ावा तहसील के खड़गपुरा ग्राम से सूरज सिंह, धारा सिंह,गोविंद सिंह,गोरधन,सिंह, गोपाल सिंह,भाव सिंह,लखन सिंह,प्रेम सिंह, व अर्जुन सिंह सम्पूर्ण ग्राम के पंच पटेल सहित ग्राम की मातृशक्ति ,युवा अपने ग्राम की कुशहाली एवं जन कल्याण के लिए सम्पूर्ण ग्राम की ओर से गाजे बाजे के साथ विशाल चुनरी यात्रा ,गो भंडारा एवं छपन्नभोग सामग्री लेकर कामधेनु गो अभयारण्य मालवा परिसर में पधारे और कथा मंच पर पहुंचकर गोमाता को चुनरी ओढ़ाकर गोमाता का पूजनकर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन, गोपुष्ठि यज्ञ करके यज्ञशाला की परिक्रमा कर उसके बाद सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।