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दैनिक समाचार



भारत के सभी बड़े मंदिरों एवं गौशालाओं में गुरुकुल स्थापित हो* - चंद्रमा दास जी महाराज


सुसनेर। मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के उपसंहार उत्सव के षष्ठम दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि जिस प्रकार हमारे देश के वीर शहीदों ने अपने खून से सींचकर हमें आजादी दिलाने में भूमिका निभाई है उसी प्रकार हमें भी राष्ट की रक्षा के लिए गाय को बचाना होगा और यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि गाय माता की सेवा अच्छे से हो ताकि गाय माता सुरक्षित एवं संरक्षित हो सकें।
 स्वामीजी ने आगे बताया कि आप हर काम में गाय माता को साथ रखिए तो आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी अर्थात गाय माता की कृपा से हर काम होते हैं,इसलिए अपने जीवन रूपी नैया को गोमाता को पकड़ा दो आपकी जीवन रूपी नाव बड़ी सरलता से भवसागर पार हो जाएगी । सच बात तो यह है कि गाय माता ही राम है गाय माता ही कृष्ण है उनको देखा नहीं है ,लेकिन गाय माता हम सबको दिखती है साथ ही महाराज जी ने देश के सभी भामाशाहों एवं गोशाला संचालनकर्ताओं से आह्वान किया कि देश की सभी बड़ी गौशालाओं में एक गुरुकुल स्थापित होना चाहिए जिसके माध्यम से देश की भावी पीढ़ी गो के सानिध्य में रहकर गो सेवा कर शिक्षा प्राप्त कर राष्ट्र कार्य में अपना सर्वच्च अर्पण करें ।
 महाराज जी ने बताया कि सनातन संस्कृति में पानी,कन्या,भोजन,गाय एवं शिक्षा को नहीं बेचा जाता लेकिन आज ये सब बिक रहे है जिससे धीरे धीरे सनातन अवनति की और जा रहा है और यही स्थिति रही तो विश्व से सनातन का खात्मा हो जाएगा इसलिए भारतीय संस्कृति को बचाए रखना है तो हमें शिक्षा, कन्या,भोजन एवं पानी व गाय को बेचने से बचना होगा और इसी को ध्यान में रखते हुए विश्व के प्रथम गो अभयारण्य में श्री कामधेनु गुरुकुलम जिसका शुभारंभ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन जी यादव ने अपने जन्मदिवस 25 मार्च को उदघाटन किया है उसमें अभ्यारण्य में कार्य करने वाले बालकों एवं गरीब परिवार के होनहार बालकों को नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए एक अप्रेल से प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है ।

*उपसंहार उत्सव के षष्ठम दिवस पर पूज्य संत चंद्रमादास जी महाराज ने बताया कि इस कलिकाल में भी निरंतर एक वर्ष तक भगवती गोमाता की महिमा का वर्णन करना वास्तव में इसके पीछे भगवान गोपाल की ही महत्ती भूमिका है,जो पूज्य स्वामी गोपालानंद जी महाराज के हृदय में विराजकर यह सब करवा रहें है और इस एक वर्षीय महामहोत्सव के कारण यह अभयारण्य एक तीर्थ बन गया है और आने वाले समय में यह दूसरा गोकुल बनकर उभरेगा क्योंकि वात्सल्य की प्रतिमूर्ति भगवती गोमाता जिस स्थान पर प्रसन्न रहती हो वह अपने आप में एक तीर्थ बन जाता है ।
    महाराज जी ने आगे बताया कि पूज्य गुरुदेव का भाव है कि भारत के प्रत्येक राज्य में एक एक अभयारण्य स्थापित हो और देश के हर राज्यों में गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग में एक एक अत्याधुनिक गो चिकित्सालय बने ताकि दुर्घटनाग्रस्त एवं बीमार गोवंश की समय पर चिकित्सा हो सके। 
 महाराज जी ने बताया कि जबसे भारत में मैकाले शिक्षा का प्रभाव बढ़ा है तब से भारत की युवा पीढ़ी गाय से दूर हुई हैं क्योंकि मैकाले शिक्षा पद्धति में गाय को एक सामान्य दूध देने वाला पशु माना है और इस प्रकार की शिक्षा से हमारा युवा भटक गया है और आज वह विदेश में शिक्षा प्राप्त कर वहीं नौकरी करने लग गया है,जबकि भारत के नालंदा एवं तक्षशिला विश्व विद्यालयों में भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता को पढ़ने के विदेशो से छात्र आते है और ये सब विकृति गोमाता से दूरी बढ़ने के कारण ही है,क्योंकि भगवती गोमाता तो देवताओं की भी देवता है और सनातन संस्कृति का तो मूल आधार है भगवती गोमाता ही है इसलिए सनातन को बचाना है तो हमें उसके लिए पहले गोमाता को बचाना होगा और इसके लिए हमें हमारी युवा पीढ़ी को गौसेवा की ओर अग्रसर करने की आवश्यकता है इसलिए भारत के प्रत्येक मंदिर एवं गोशालाओं में एक एक गुरुकुल स्थापित होना चाहिए ताकि उसी अनुरूप हमारी युवा पीढ़ी गौसेवा करके हमारी संस्कृति एवं राष्ट्रों शिक्षा प्राप्त कर सकें ।



*स्वामीजी ने बताया कि उपसंहार उत्सव में शिवशक्ति महायज्ञ, ग्वाल प्रशिक्षण शिविर, पंचगव्य उत्पाद शिविर,एवं बहिनों के लिए आत्म रक्षा शिविर विश्व के प्रथम गो अभयारण्य में चल रहें है और आगामी 09 अप्रैल से 11 अप्रैल तक तीन दिवसीय गो आधारित कृषि का प्रशिक्षण वर्ग रहेगा*
उपसंहार उत्सव के षष्ठम दिवस पर महेश आत्मानंद महाराज जमशेदपुर झारखंड,पंडित जितेंद्र शुक्ला जी नंदगांव महाराष्ट्र एवं नगर पालिका पिड़ावा के अध्यक्ष रामेश्वर पाटीदार 
अध्यक्ष,अधिशाषी अधिकारी मनीष मीणा सहित नगर पालिका का सम्पूर्ण स्टाफ आदि अतिथि उपस्थित रहें ।



एक वर्षीय गोकृपा कथा के उपसंहार उत्सव के षष्ठम दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के जयपुर जिले के आसलपुर गौशाला संचालक पांचू लाल कुमावत,महेश कुमावत गुड्ढा बेरसल,प्रहलाद कुमावत उगारीयावास, पवन कुमार,मनोज कुमार आसलपुर जयपुर एवं मध्यप्रदेश के आगर जिले के बडौद तहसील के राजा खेड़ी ग्राम की महिला मंडल ने अपने परिवार के साथ सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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गाय माता है तो हम है इसलिए गो पालन जरूर करना चाहिए*-स्वामी हरिहर जी,आर्ट ऑफ लिविंग


सुसनेर। मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के उपसंहार उत्सव के तृतीय दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि गोरक्षा शासन का कर्तव्य है लेकिन जब शासन अपने कर्तव्य का पालन न करें तो समाज को किसी न किसी रूप में उठ खड़ा होना होगा और उसके लिए प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की आवश्यकता है क्योंकि गो रक्षा के नाम पर कुछ 2 % लोग 98%को बदनाम कर देते है अर्थात कुछ उपद्रवी लोग गोरक्षा की आड़ में तस्करी वाले वाहनों में तोड़ फोड़ एवं चोरिया कर गौसेवकों को समाज के सामने बदनाम करने में पीछे नहीं रहते इसलिए उन ग़लत लोगों से बचाव के लिए सात्विक लोगों को संगठन में शामिल कर एक विशाल संगठन खड़ा कर देश के राजा को याद दिलाना होगा कि 1857 की क्रांति से लेकर आज तक 168 साल बीत चुके लेकिन गो रक्षा के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई इसके लिए लोकतंत्र में संख्याबल चाहिए क्योंकि लोकतंत्र में वोटतंत्र के लिए संख्याबल महत्त्वपूर्ण है और जिस दिन दिल्ली की सड़कों पर एक करोड़ लोग गो संकीर्तन करेंगे तो गोमाता को स्वत:सम्मान मिल जाएगा ।



*उपसंहार उत्सव के तृतीय दिवस आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक पूज्य श्री श्री रवि शंकर जी महाराज जी के कृपा पात्र शिष्य स्वामी हरिहर जी महाराज ने बताया कि गो अभयारण्य में यथार्थ दिख रहा है । गो के चार अर्थ हे ज्ञान ,गमन ,प्राप्ति एवं मोक्ष है और जीवन के चार पुरुषार्थ गो माता के साथ है।
गो सेवा से ही आत्म कल्याण है गो सेवा से ही राष्ट्र कल्याण है। लेकिन इसके लिए हमें संगठित रूप से यह बात रखनी होगी। क्योंकि संगठन में ही शक्ति होती है। गायमाता के बारे में बताना ब्रह्म यज्ञ है,गायमाता की आराधना देव यज्ञ,, गायमाता के शरीर में विराजित 33 कोटि देवता की सेवा से पितृ यज्ञ एवं भूत यज्ञ आदि पांच यज्ञ का फल गो सेवा से मिल जाता है। 
स्वामीजी ने आगे बताया कि मानसिक तनाव एवं अवसाद को मिटाने का सर्व श्रेष्ठ साधन गोमाता ही है अर्थात गंभीर से गंभीर बीमारी को गोमाता बचाती है यानि गो है तो हम है और गो नहीं है तो सनातन संस्कृति नहीं बचेगी और गो रक्षा के लिए आर्ट ऑफ लिविंग भी स्वामीजी के साथ तन, मन , धन से सहयोग करेगा ।

*उपसंहार उत्सव के चतुर्थ दिवस 2 अप्रैल बुधवार को काशी सुमेरु पीठाधीश्वर परम पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद जी सरस्वती जी महाराज का आशीर्वाद मिलेगा*

एक वर्षीय गोकृपा कथा के उपसंहार उत्सव के दतृतीय दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के गो सेवक सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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वक्फ बिल की भांति गोचर से अतिक्रमण हटाने के लिए बिल लाएं मोदी सरकार* - स्वामी गोपालानंद सरस्वती


सुसनेर। मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के उपसंहार उत्सव के पंचम दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि बताया कि जब से जीवन से गो को निकाला है,तब से तब से अहम भाव बढ़ा है क्योंकि गो न रखने से विकार बढ़ता है,विचार नष्ट हो जाते है और सद 
विचारों का खात्मा हो जाता है जिससे जीवन में भय,कामनाएं,लाभ,मोह और क्रोध बढ़ने लगता है,इन सब दुर्दशा से बचने का एक मात्र साधन है नि:ष्काम भाव से गो सेवा और जब हम कामना रहित भगवती गोमाता की सेवा करते है तो मन में कोई इच्छा,कोई कामना नहीं होती तब जीवन का जीवन का वास्तविक मूल्य समझ में आता है क्योंकि जीवन में चिन्ता का सबसे बड़ा मूल कारण चाह है, इसलिए कहां भी गया है कि "चाह गई, चिन्ता मिटी" चाह जब तक रहेगी चिन्ता मिटेगी नहीं इसलिए चिंता को मिटाना है तो चाह को मिटाना होगा और आह मिटेगी तो वाह मिलेगी।
      स्वामीजी ने आगे कहा कि गाय माता हमारी माता है, इस बात को हम भूल नहीं सकते। गाय माता हमें सुख देती है।गाय हमारी देवता है इसलिए उक्त तीन बातों को हमें सदा ध्यान में रखना चाहिए। इसलिए पहले गाय माता की सेवा हो पूजा हो और फिर गाय माता की सुरक्षा भी हो और हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि बीते हुए समय में,वर्तमान एवं भविष्य इन तीनों काल में गाय हमारी माता रहेगी। इसलिए मानव जीवन में गाय मां की सेवा करके जीवन को सफल बनाए और भारत का प्रत्येक सनातनी परिवार अपने अपने घर में एक गोमाता की सेवा अवश्य करें ।
   स्वामीजी ने प्रभु को पाने के तीन रास्ते बताए है जिसमें से पहला ज्ञान के द्वारा दूसरा भक्ति के द्वारा और तीसरी सेवा के द्वारा और जीवन का मौज सिर्फ गाय माता सेवा से ही मिलेगा और अगर जीवन में गोव्रत अर्थात पंचगव्य का उपयोग कर प्रभु की नि:ष्काम भाव से सेवा की जाएं व भगवान को गो गव्य से बने प्रसाद का भोग लगाएं तो भगवान की भक्ति का इससे बड़ा कोई माध्यम हो ही नहीं सकता इसलिए प्रभु को पाना है तो हर सनातनी को गोवर्ती बनना होगा अर्थात हमें भेस,बकरी अथवा नकली दूध से बचकर केवल गोमाता के दूध से बने प्रसाद को ही भगवान को भोग लगाकर उसे ग्रहण करना चाहिए ।

 महाराज जी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी से आग्रह किया कि जब आप गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब आपने गो रक्षा का कानून बनाने की बात कही थी और आप अपने प्रधानमंत्रीकाल में सनातन संस्कृति को बचाए रखने का हर संभव प्रयत्न कर रहें है और कल भी आपकी सरकार ने वक्फ बिल पास करके एक ऐतिहासिक कार्य किया है, उसी प्रकार आप सनातन की मूल आधार भगवती गोमाता को बचाए रखने के लिए या तो गो हत्या बंदी कानून बनवाएं अथवा अगर आपके सामने कोई वैश्विक अड़चन है तो आप वक्फ बिल की भांति भारत में चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाकर उसे गौ के लिए संरक्षित करने के लिए एक बिल तो ले आईए ताकि भारत में एक भी गोवंश दर दर की ठाकरे नहीं खाएं क्योंकि देश का चार करोड़ गोवंश गोचर में कब्जा होने के कारण दर दर की ठोकर खा रहा है ।

*स्वामीजी ने बताया कि उपसंहार उत्सव में ग्वाल प्रशिक्षण शिविर, पंचगव्य उत्पाद शिविर,एवं बहिनों के लिए आत्म रक्षा शिविर विश्व के प्रथम गो अभयारण्य में चल रहें है और आगामी 09 अप्रैल से 11 अप्रैल तक तीन दिवसीय गो आधारित कृषि का प्रशिक्षण वर्ग रहेगा*
उपसंहार उत्सव के पंचम दिवस पर उज्जैन जिले से किशोर मेहता पलवा निवासी पूर्व जिला सहकारी बैंक उपाध्यक्ष निवासी,रामसिंह जादौन किठोदा निवासी पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष ,मुकेश मेहता 
भाजपा मंडल महामंत्री घटिया उज्जैन एवं आगर जिले के भाजपा जिला महामंत्री डॉ. गजेन्द्र सिंह चंद्रावत सुसनेर आदि अतिथि उपस्थित रहे ।


एक वर्षीय गोकृपा कथा के उपसंहार उत्सव के पंचम दिवस पर चुनरी यात्रा मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले के बडौद से श्रीमती जतन बाई,प्रभु सूर्यवंशी,सुसनेर तहसील के बढ़िया से डॉ मांगी लाल , सालरिया से भेरू सिंह एवं मेनपुर से आचार्य रोडू सिंह आदि ने अपने परिवार के साथ सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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गाय पृथ्वी का अमोल रत्न एवं धरोहर है और सम्पूर्ण देवताओं का वांग्मय स्वरूप है* - स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, सुमेरु पीठ शंकराचार्य


सुसनेर। मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के उपसंहार उत्सव के चतुर्थ दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि मालवा क्षेत्र किसानों का क्षेत्र है लेकिन हमें यह ध्यान देना होगा कि हमें फसल से ज्यादा नस्ल की चिंता करनी होगी क्योंकि फसल बिगड़ने पर वह ठीक हो जाती है लेकिन नस्ल बिगड़ने पर उसका परिणाम सात पीढ़ियों तक भुगतना पड़ता है,इसलिए हमारी नस्ल को बचाने के लिए गोसेवा एवं संरक्षण जरूरी है और भारत सरकार गोहत्या करने वाले को फांसी की सजा देने का कानून बना दे तो भारत में फिर गो रक्षा के लिए कोई कानून बनाने की आवश्यकता नहीं है ।

*उपसंहार उत्सव के चतुर्थ दिवस पर काशी सुमेरु पीठाधीश्वर परम पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद जी सरस्वती जी महाराज ने अपने आशीर्वाद में बताया कि विश्व के इस प्रथम गो अभयारण्य का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक रूपी एक ऋषि ने नीव रखी लेकिन बाद में शासन इसकी व्यवस्था नहीं संभाल पाया और 06 वर्ष बाद पुन: इस अभयारण्य की बागडोर एक संत के हाथ में आ जाती है ओर एक संत यहां पर एक वर्ष तक निरन्तर गोमाता की महिमा गान करके यहां का वातावरण गोमाता के जीवन में खुशहाली एवं प्रसन्नता का वातावरण इस पथरीले क्षेत्र में कर देता है और यहां विराजित सभी वेदलक्षणा गोवंश प्रसन्न है ।
  शंकराचार्य भगवान ने आगे बताया कि धार्मिक,भौतिकवाद एवं अध्यात्म दृष्टि से देखे तो जब गाय रूपी पृथ्वी पर अनाचार,दुराचार एवं पापाचार बढ़ता है तो भगवान राम त्रेता में यहां मानव के रूप में प्रकट होते है ओर द्वापर में तो भगवान कृष्ण स्वयं गोचारण कर हमें गोसेवा करने का संदेश देते है क्योंकि गाय पृथ्वी का अमोल रत्न एवं धरोहर है और सम्पूर्ण देवताओं का वांग्मय स्वरूप है और पौराणिक आधार पर इस धरा पर ऐसा कोई देवता , नदी एवं तीर्थ नही जो गाय के शरीर पर न विराजमान न हो और गाय की सेवा,पूजन एवं अर्चन से इस धरा पर ऐसा कोई पदार्थ नहीं जिसे हम प्राप्त न कर सकें क्योंकि अनेक प्रकार के प्रायश्चित करने के बाद भी मनुष्य के शरीर का पापक्षेम नहीं होता लेकिन पंचगव्य जिसके प्रासंग से हड्डी तक के पाप नष्ट हो जाता है और जब यह भौतिक शरीर को कैंसर जैसी जटिल एवं असाध्य बीमारियों को भी भी गोमाता के पंचगव्य से ठीक किया जा सकता है और अन्त में प्राण छूटने पर पुच्छ से गोलोक की प्राप्ति का आधार भी अपने पुराणों में निरूपित एवं वर्णित है।
 भारत कृषि प्रधान है और सतयुग से लेकर आज तक गोमाता के गोबर से हमारी ऋषि कृषि जीवित रही है जिसे मैकाले शिक्षा के माध्यम से भारत में तैयार हुए काले अंग्रेजों ने हरित एवं श्वेत क्रांति का नाम देकर रासायनिक जहर एवं गाय सा दिखने वाला विदेशी पशु जो सूअर के जीन से तैयार किया है जिसके दूध से कैंसर होता है उसे बढ़ावा देकर हमारी भारतीय गोमाता की उपेक्षा की है,जिसके लिए हमें संगठित एवं जागृत होकर गौसेवा में जुटना होगा साथ ही शंकराचार्य भगवान ने कहां कि हमारे देश में बकरी,सूअर एवं मुर्गा पालने की सरकार की योजना तो है लेकिन गोपालन की कोई ठोस योजना नहीं है इसलिए भारत सरकार को शीघ्र गोपालन मंत्रालय का गठन करना चाहिए और देश की सभी चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाकर उसे गोपालन के लिए संरक्षित एवं सुरक्षित करना चाहिए साथ ही भारत के प्रत्येक सनातनी को अपनी आय का कुछ हिस्सा भगवती गोमाता की सेवा के लिए लगाना चाहिए और उसे गौशालाओं के लिए दान करना चाहिए।
 पूज्य शंकराचार्य भगवान का गो अभयारण्य पधारने पर भव्य स्वागत किया गया और स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती महाराज सहित सभी संतो एवं गो सेवकों ने शंकराचार्य भगवान की चरण पादुकाओं का पूजन अर्चन किया। 



एक वर्षीय गोकृपा कथा के उपसंहार उत्सव के चतुर्थ दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान एवं मध्यप्रदेश राज्य से समस्त संत आसाराम बापू जी महाराज के गोभक्त साधक , पटपड़ा,दुल्हे सिंह , सालरिया,मेवाड़ भक्त मण्डल,समस्त गोभक्त मण्डल, सनवाड़, राजनगर एवं बोरखेड़ी कावल ग्रामवासियों ने सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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गोमाता के नेत्रों को देखने से सर्वश्रेष्ठ ध्यान होता है*- गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज


सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के समापन दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि भारत को भारत की संस्कृति चाहिए और भारत की संस्कृति का प्राण गायमाता है और उसी के लिए मंगल पांडे ने बंदूक उठाई थी । मंगल पांडे को अंग्रेजों ने फांसी तो दे दी लेकिन वे उनके विचारों को नहीं मार पाएं और आज भी उनके विचार जीवित है और हमें उनके विचारों को जीवित रखना है तो उसके लिए सेवा ही एक सर्वोत्तम साधन है और वह मनुष्य ही कर सकता है क्योंकि परमात्मा के पास जाने का एक मात्र साधन मनुष्य के पास है और सेवा के माध्यम से ही वह भगवती गोमाता की सेवा कर परमात्मा के पास जा सकता है। 
 
एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के समापन पर्व एवं उपसंहार उत्सव पर गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज के श्रीमुख से प्रारम्भ हुई तीन दिवसीय नरसी जी के मायरा कथा के शुभारंभ दिवस पर महाराज जी ने बताया कि प्रारंभ में लोग आश्चर्य करते थे कि एक वर्ष की भी कोई कथा होती है क्या क्योंकि जो पुस्तकीय ज्ञान से कथा करते है उसकी एक सीमा होती है लेकिन स्वामी गोपालानंद जी महाराज ने जो एक वर्ष की कथा श्रवण करवाई है वह भगवती गोमाता जो सब वेद पुराणों को अपने अन्दर समाहित रखती हैं उसकी कथा उसके सम्मुख गोमाता को दिखाते हुए गोमाता की महिमा वर्षभर गाई गई है और भगवती गोमाता की महिमा तो इतनी है कि उसे पांच वर्ष में भी पूरा नहीं किया जा सकता है और साथ ही बताया कि इस सृष्टि में सबसे सर्वश्रेष्ठ ध्यान गोमाता के नेत्रों को देखकर ध्यान करने को बताया और कहा कि आपने गोमाता की आंखों को निरंतर देखा तो आपको गोमाता की आंखों में साक्षात श्री कृष्ण के दर्शन होंगे ।
 महाराज जी ने बताया कि नरसी जी के मन में। अच्छी गोसेवा रही है और उन्होंने अपनी युवावस्था गोमाता के गोष्ठ में रहकर ही बिताई है और भगवती गोमाता की कृपा से ही वे प्रभु के करीब पहुंचे है क्योंकि ईश्वर तक पहुंचाने का एक मात्र माध्यम गोमाता ही है ।
   महाराज जी ने 144 साल बाद आए महाकुंभ की सारी व्यवस्था की बहुत प्रशंसा की और बताया कि इस महाकुंभ में गोरक्षा की दृष्टि से कोई ठोस निर्णय हो जाता तो यह महाकुंभ आनंददाई हो जाता ।
   महाराज जी ने गोरक्षक भगवान दत्तात्रेय भगवान के बारे में बताते हुए कहां कि वे किसी एक सम्प्रदाय के आचार्य नहीं थे बल्कि वे कल्पगुरु थे और भक्त नरसी जी को उन्होंने ही वाणी थी थी और उस वाणी से ही नरसी जी जीवंत पर्यंत तक केवल हरिभजन करते रहें और उन्होंने अपने जीवन में कभी भी अपनी तारीफ एवं दूसरों की बुराई नहीं की और इसी श्रेष्ठ गुण से वे भगवान के अतिप्रिय भक्तों की श्रेणी में अपना नाम अमर कर गए ।

एक वर्षीय महामहोत्सव के समापन पर्व पर स्वामी देवानंद सरस्वती जी, लक्षानन्द जी बावजी,प्रकाश बाबाजी,चंद्रमदास जी महाराज एवं यज्ञाचार्य गंगाधर जी पाठक सभी संतो एवं विद्वानों ने भगवती गोमाता की महिमा के बारे में बताते हुए कहां कि जिनके अंतःकरण में पंचगव्य है वे ही वेद को ग्रहण कर सकते है और लोग पशु को हीन भावना से देखते है लेकिन जिनके दर्शन मात्र से ब्रह्मांड नायक के दर्शन हो वह पशु हैं और इसी विशेषता के कारण से ही तो भगवान शंकर पशुपति नाथ कहलाएं और सभी संतो ने एक स्वर से कहा कि आज कथा का समापन नहीं बल्कि एक विराम है और यह क्रम निरंतर चलता रहना चाहिए इस पर पूज्य स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी ने बताया कि शेष कथा का क्रम जारी रहेगा ।

श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार जी अगवाल ने बताया कि भगवान कृष्ण ने ग्वाल के रूप में काम किया है और वहीं काम अब ग्वालशक्ति सेना एवं धेनु शक्ति संघ को भगवान कृष्ण का कार्य मानकर कार्य करना होगा साथ ही कार्यपालन अधिकारी आलोक सिंहल,प्रबंध न्यासी अम्बा लाल सुथार, क्षेत्रीय निदेशक ब्रह्मदत्त व्यास,न्यासी भूर सिंह राजपुरोहित आदि ने एक वर्षीय महामहोत्सव के मुख्य यजमान चिमन भाई अग्रवाल के परिवार एवं इस महोत्सव में हर प्रकार से सहयोग करने वाले सभी सज्जनों का आभार जताया
    *पूज्य गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज का पूज्य स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज सहित सभी संतो एवं कार्यकर्ताओं ने गो अभयारण्य पर पधारने पर स्वागत किया*

*एक वर्षीय महोत्सव के समापन दिवस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गो सेवा आयाम के अखिल भारतीय अधिकारी शंकर लाल भी भाईसाहब, गो संवर्धन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मेघराज जी जैन सहित गो सेवा विभाग के मालवा प्रान्त के अधिकारी आदि अतिथि उपस्थित रहें ।

एक वर्षीय गोकृपा कथा के समापन दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के गो प्रेमियों की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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मध्यप्रदेश की भांति हर राज्य में शासन एवं समाज के सहयोग से एक एक गो अभयारण्य स्थापित हो*- गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज


सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के उपसंहार उत्सव के प्रथम दिवस पर पूज्य गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज ने बताया कि जैसे वर्षा जल की बूंदों को नहीं गिना जा सकता है ठीक उसी प्रकार गौमाता के गुणों को नहीं पहचाना जा सकता है, कुछ लोगों को लगता है गौमाता एक सामान्य प्राणी है, पशु है, दूध देने वाला जीव मात्र है। 
कुछ लोग गाय की आराधना स्वीकार नहीं कर सकते, उनकी आरती करना उन्हें ठीक नहीं लगता लेकिन अगर साक्षात भगवान को पाना है तो फिर गोमाता की सेवा करनी होंगी और भारतीय नूतन वर्ष विक्रम संवत् २०८२ के प्रथम दिवस पर गोमाता के प्रथम दर्शन पाकर अति आनंद की अनुभूति हुई क्योंकि भगवती गोमाता का यह तीर्थ सिद्ध तीर्थ बन गया है। क् एक वर्ष से जो अनुष्ठान यहां चला है , उससे गौसेवा एवं गो संरक्षण को बल मिला है और जहां सेवा होती है भगवान वहां साधन देते है और विश्व के इस प्रथम गो अभयारण्य में तो शासन एवं समाज दोनों ने मिलकर भगवती गोमाता की सेवा कर रहें है और अभ्यारण्य की 6700 गोवंश स्वस्थ एवं प्रसन्न है ।
    पूज्य महाराज जी ने भारत सरकार सहित देश की सभी राज्य सरकारों से आह्वान किया कि मध्यप्रदेश के इस गो अभयारण्य की भांति सभी राज्यों में एक एक गो अभयारण्य स्थापित हो जाए जहां मध्यप्रदेश की भांति शासन एवं समाज मिलकर गोपालानंद जी महाराज जैसे दिव्य संतो के सानिध्य में गोसेवा में जुटे तो भारत में गोमाता को स्वत: सम्मान मिल जाएगा ।
    महाराज जी ने बताया कि एक वर्षीय गौ आराधना महामहोत्सव में पूरे वर्ष भर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से गौमाता के लिए चुनर यात्रा लेकर आए, जिस प्रकार अपनी मां बहन के लिए ओढ़नी लेकर जाने का जो भाव मन में होता है ठीक वही भाव गौमाता को चुनर ओढ़ाने के समय देखा उससे मन खूब आनंदित हुआ। जिस जिस ने पूरे वर्ष भर में गौमाता को चुनर ओढ़ाई वह निश्चित रूप से गौमाता को तकलीफ नहीं पहुंचाएंगे। 
    महाराज जी ने सभी देश वासियों से आग्रह किया कि गर्मी का मौसम है ओर आप जहां भी हो वहां गोमाता के पीने के पानी की व्यवस्था अवश्य करें क्योंकि गोमाता को पानी पिलाने से ठाकुर जी प्रसन्न होते है साथ ही महाराज ने कहां कि जब भी आप,सत्संग ,मंदिर एवं गोशालाओं में जाएं तो अकेले नहीं जाओ, सबको साथ लेकर जाओ क्योंकि जीवों के सम्मुख रहने से भगवान राजी होते है ।
       महाराज जी ने देश के राजनेताओं को नसीहत देते हुए कहां कि देश के बड़े बड़े राजनेता अपने घरों पर गोमाता रखकर या गोमाता को रोटी खिलाकर अपना फोटो तो खींचवा लेते है,लेकिन जब गोमाता को सम्मान दिलाने की बात आती है तब वे मौन हो जाते ,देश के उन राजनेताओं को जिनसे देश एवं सनातन को अपेक्षा है वे तो कम से कम अपनी कथनी करनी में भेद न रखें साथ ही महाराज जी ने गोमाता को राजमाता का सम्मान देने वालों को भी याद दिलाया कि जिन राज्यों में गौमाता को राज्य माता का दर्जा दिया है, उनको चाहिए कि वह गौमाता को वह अधिकार भी देवे और राजनैतिक पार्टिया सिर्फ वोटों के लालच के लिए गौमाता का उपयोग करना बंद करें ।

*उपसंहार उत्सव के प्रथम दिवस पर श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा लोक पुण्यार्थ न्यास के न्यासी बोर्ड केंद्रीय कार्यकारिणी एवं सुरभि प्रज्ञा परिषद बैठक सायंकाल 06 बजे से 08 बजे तक गो अभयारण्य में पूज्य संतो के सानिध्य में आयोजित होने जा रही है*





एक वर्षीय गोकृपा कथा के उपसंहार उत्सव के प्रथम दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के बीकानेर के देरासर, से रामलाल गुसाईसर,हुक्माराम भाई ,झालावाड़ जिले के बोलियाबारी ग्राम के ग्रामवासियों एवं मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के छापीहेडा एवं सुसनेर तहसील के सालरिया ग्राम के साथ साथ ग्राम गावडी ग्राम से मनीषा
जिनके पिताजी की आखिरी इच्छा थी कि गौ माता के लिए चुनर ले जाए उनकी एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई पर अब उनकी बेटी मनीषा और बेटा रघुवीर सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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