दैनिक समाचार



भारत के प्रत्येक सनातनी मन्दिर में गोशाला अवश्य होनी चाहिए


On Fri, 29 Nov, 2024, 13:05 Shiv Pathmeda, wrote:
* .................................….....*- स्वामी गोपालानंद सरस्वती

सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 235 वे दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने 

कथा के 235 वें दिवस पर .…............. अतिथियों का बहुमान किया।
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भारतीय संस्कृति के मूल प्राण गोमाता का वध भारत में कब रुकेगा*-


सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 235 वे दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने प्रसूति स्नान/सूतिका स्नान में गोमाता की भूमिका के बारे में बताते हुए कहां कि बच्चे के गर्भावस्था से लेकर उसके पूरे जीवन में गोमाता की महत्ती भूमिका है लेकिन सूतिका स्नान के समय तो गोमाता के गोबर एवं गोमूत्र की बहुत बड़ी भूमिया है अर्थात गोमाता का गोबर एवं गोमूत्र एंटीबायोटिक के रूप में नवजात बच्चे एवं प्रसूता नारी के सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है लेकिन आजकल की आजकल कि तथाकथित पढ़ी लिखी माता बहिनें गोमाता के गोबर एवं गोमूत्र से घृणा करती है जिसके दुष्प्रभाव से जच्चा एवं बच्चा हमेशा रुग्ण ही रहते है ।
स्वामीजी ने गोबर के बारे में बताते हुए कहां कि इस संसार में केवल गोबर ही ऐसा पदार्थ है जो भले ही गायमाता के मल के रूप में प्राप्त होता है फिर भी इस सृष्टि की सबसे पवित्र वस्तु है जो अपवित्र जगह को भी उससे लीपने पर पवित्र हो जाती है और गोबर खतरनाक रेडीशियन को भी रोकता है और भगवान शंकर एवन माता पार्वती के पुत्र गणेश जी महाराज एवं शिवजी को चढ़ने वाले बिल्वपत्र की उत्पत्ति भी गायमाता के गोबर से ही हुई है और जब गोमूत्र एवं गोबर दोनों आपसे मिल जाते है तो इनकी शक्ति कही गुणा बढ़ जाती है । 
    

पूज्य स्वामीजी ने दुःख प्रकट करते हुए बताया कि गोपाल कृष्ण की भूमि पर गोमाता कटे यह दुःख हमें कहां तक झेलना पड़ेगा जिसका एक दु:खद समाचार वृन्दावन से पधारे गो प्रेमी सन्त गोपेश कृष्ण बाबा ने बताया कि अभी अभी कुछ दिनों पूर्व उत्तरप्रदेश के मेरठ क्षेत्र में चलने वाले कत्लखानो से सैकड़ों टन गोमांस दादरी के कोल्ड स्टोरेज में पकड़ा गया जिसमें पैकिंग में तो लिखा था बफैलो बीफ लेकिन जब लैबोरेट्री जांच करवाई तो पता चला कि ये छोटे छोटे लगभग 10,000 बछड़े बछड़ियों का मांस था और यह भी तब पता चला जब उस प्रदेश के मुखिया एक गोभक्त संन्यासी है नहीं तो मामला कभी का रफ़ा दफा हो जाता । यानि जो गायमाता भारत की संस्कृति का प्राण है उसका सरेआम कत्ल हो रहा है यह सनातन के लिए कलंक है अर्थात एक और तो हम भगवान राम कृष्ण की भूमि में जन्म लेने का गर्व महसूस करते है ,लेकिन दूसरी और 33 कोटि देवी देवताओ को अपने शरीर में धारण करने वाली भगवती गोमाता की नित्य हत्या हो रही है जो पुण्य भूमि भारत के लिए कलंक है इसके लिए पूज्य स्वामीजी ने देश के सभी धर्मावलंबियों,राजनैतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले श्रेष्ठिजनों से अपील की भारत भूमि में गोमाता का वध न हो इसके लिए कठोर कानून बने इसके लिए सभी को एकजुट होकर संगठित होने की आवश्यकता है । 
  

एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 234 वे दिवस पर लक्ष्मण मन्दिर गोवर्धन जी से पूज्य अशोक नारायण दास जी महाराज निर्माणी अखाड़ा , पीपाधाम के पीठाधीश्वर पूज्य महामंडलेश्वर झनकेश्वर दास जी महाराज गागरोन (झालावाड़) एवं पूज्य गोपेश कृष्ण जी महाराज वृन्दावनधाम का पदार्पण कर संपूर्ण गो अभयारण्य की परिक्रमा करके भारत में गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगे इसके लिए ग्वालसंत पूज्य गोपालानंद सरस्वती जी से मंत्रणा की ।

*235 वे दिवस पर चुनरीयात्रा मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले की ओर से *
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 235 वें दिवस पर आगर मालवा जिले के सुसनेर नगर के माली मोहल्ला निवासी निखिल गायरी के पुत्र अंकित के जन्मदिवस पर अंकित की दादी ने अपने परिवार की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी एवं गुड एवं बांटा लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।

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मन के रोग मिटाने का सर्वश्रेष्ठ साधन भगवती गोमाता ही है*


सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 234 वे दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने पत्र में बताया प्रसव के बाद माँ को कैसा आहार ग्रहण करना चाहिए।प्रसव के 90 दिनों बाद तक माँ को आहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए। व्यक्ति को स्वाधीन बनना चाहिए जितना हो सके खाने पीने की वस्तुओं के लिए बाजार पर ज्यादा निर्भर नहीं रहना चाहिए घर की वस्तुएं अधिक उपयोग में लानी चाहिए। बाजार की पैकेट बंद वस्तुएं मां को नहीं जीमनी चाहिए क्योंकि इसका प्रभाव बच्चे पर पड़ता है, आजकल कैंसर हो रहा है उसका एक कारण जहरीली कृषि भी है। पूज्य महाराज जी ने आगे कथा में बताया कि वैष्णव जैसा सादा ,शुद्ध, भगवान को भोग लगाया हुआ प्रसाद पाते हैं वैसा भोजन करने से बच्चों में वैष्णवता आती है।

पूज्य महाराज जी ने सद्गुरु की महिमा बताते हुए कहा कि जिन पर गुरु कृपा है उनको सभी वस्तुएं सुलभ है। गुरु को साधारण मनुष्य समझने वाल व्यक्ति कितने ही शास्त्र पढ़ ले उससे उसका मान तो बढ़ सकता है लेकिन मुक्ति नहीं मिल सकती है।

मन के रोगों को मिटाने का सर्वश्रेष्ठ साधन भगवती गोमाता ही है तन के रोग तो कोई भी मिटा सकता है लेकिन मन के रोग मिटाने की क्षमता गौ माता में ही है। गोमाता के स्पर्श से, परिक्रमा करने से, गोमाता जी की सेवा करने से जीवन में सतोगुण बढ़ता है जिससे मन के रोग समाप्त होते हैं।

कथा के 234 वें दिवस पर झालावाड़ जिले की रायपुर एवं पिड़ावा तहसील के तहसीलदार श्री गणेश जी शर्मा ने अपने परिवार के साथ भगवती गोमाता की पूजन कर पूज्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती का आशीर्वाद लिया एवं अतिथि के रूप में मदन सिंह जी गोहिल
, इन्दौर,एडवोकेट भाव सिंह जी ,रविन्द्र सिंह जो गोहिल बिछावाडी सांचौर एवं बालाराम जी दांगी गर्दन खेड़ी से पधारे जो जैविक खेती करते हैं आपने आज तक अपने कृषि में डीएपी, यूरिया,रसायनिक दवाई का उपयोग नहीं किया है कार्यकर्ताओं ने दुपट्टा पहना करके बालाराम जी एवं अन्य अतिथियों का बहुमान किया।

*234 वे दिवस पर चुनरीयात्रा राजगढ़ जिले की ओर से *
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 234 वें दिवस पर चुनरी यात्रा श्री बद्रीलाल जी गुर्जर, जेथली , जीरापुर (राजगढ़)ने अपने परिवार की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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गुरु की वाणी के एक शब्द का उल्लघंन भी मनुष्य को नरक का गामी बना सकता है*


सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 233 वे दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने नारी के सतीत्व के बारे बताते हुए कहां कि एक ऋषि नारी जो वन में रहकर भी भगवान श्रीराम की पत्नी सीताजी को पत्नी व्रत धर्म के बारे में बता रही है और एक राजा की पत्नी मां जानकी गुरु भाव से उसी स्वीकार कर पतिव्रत धर्म पालन की शिक्षा ग्रहण कर रहीं है ।।
महाराज जी ने गुरु की महिमा बताते हुए कहां कि दीक्षा गुरु तो एक ही होते है, जिनसे हमें परमात्मा को पाने के लिए मंत्र प्राप्त होती है ओर वे ऐसे गुरु हितैषी जिनकी वाणी का एक शब्द भी उल्लघंन करना मनुष्य के नरक गमन के लिए प्रयाप्त होता है अर्थात किसी को नरक जाना है तो उसे कुछ करने की जरुरत नहीं है बल्कि गुरु की आज्ञा का उल्लंघन कर लो नरक का रास्ता एकदम क्लियर मिल जायेगा। साथ ही महाराज जी ने बताया कि शिक्षा गुरु अनेक हो सकते है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण मान अनुसूया जी के पुत्र भगवान दत्त के 24 गुरु थे और चाणक्य ने भी चाणक्य नीति में 24 गुरु की बात कही है । इसी प्रकार महर्षि बाल्मीकि ने मां अनुसूया जी को अपना गुरु बनाकर गर्भावस्था संबंधित सारी शिक्षा प्राप्त की थी और वनवास के दौरान माता सीता और राम जी जब चित्रकूट में महर्षि अत्रि के आश्रम पहुंचे, तब वहां देवी अनुसूया ने सीता जी को पतिव्रत धर्म की शिक्षा दी थी. अनुसूया ने सीता जी को बताया था कि आदर्श पत्नी को अपने पति के लिए कैसा व्यवहार करना चाहिए और गृहस्थ जीवन को कैसे संवारना चाहिए. अनुसूया की इस शिक्षा से सीता जी ने रावण की कुदृष्टि को नाकाम किया और अग्नि परीक्षा में भी सफल रहीं.है ।

महाराज जी ने बताया कि आगामी 11 दिसम्बर को गीता जयंती पर गो अभयारण्य में भव्य उत्सव मनाया जायेगा और 15 दिसम्बर को कल्पगुरु भगवान दत्तात्रेय जी का प्राकटीकरण उत्सव मनाया जाएगा।

स्वामीजी ने आगे बताया कि बिना गायमाता के कोई भी सुखी नहीं हो सकता अर्थात देवता भी बिना गायमाता के सुखी नहीं रह सकते क्योंकि गायमाता की घृत से किए गए हवी से ही देवता प्रसन्न होते है और जब गोमाता नहीं रहेगी तो देवता कैसे प्रसन्न होंगे और देवता प्रसन्न नहीं होंगे तो फिर सभी दुःखी रहेंगे इसीलिए सभी की प्रसन्नता के लिए गोमाता का होना जरूरी है ।


*233वे दिवस पर चुनरीयात्रा महाराष्ट्र के बुलडाना जिले की ओर से * 
 एक वर्षीय गोकृपा कथा के 233 वें दिवस पर चुनरी यात्रा महाराष्ट्र के सेगांव से रिखब चन्द पीयूष जी बाफना ने अपने परिवार की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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दवा देवी फाउंडेशन देशभर में चल रहें गो चिकित्सालयों को दवा उपलब्ध कराएगा*


सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित गो रक्षा वर्ष के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 231 वे दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने षष्ठी पूजन का महत्त्व बताते हुए कहां कि भगवान नारायण ने अपने श्रीमुख से नारद ऋषि को षष्ठी माता की कथा सुनाई थी । षष्ठीमाता भगवान शिव पार्वती की पुत्रवधु एवं कार्तिकेय जी की अर्द्धांगिनी है और देवराज इन्द्र एवं शशि की पुत्री है और षष्ठीमाता एवं गोमाता का गहरा सम्बन्ध है अर्थात गायमाता के बिना षष्ठीमाता की पूजा नहीं हो सकती और गायमाता प्रसन्न हो गई तो वह सकल कामनाओं की पूर्ति कर देती है , इसलिए षष्ठी पूजा ही नहीं अन्य कोई भी पूजा घर में हो उस पूजा के बाद अपने घर के बड़े बुजुर्गों को प्रणाम करके फिर गोमाता को हरा या सूखा चारा खिलाकर उसे प्रणाम करें और प्रार्थना करें कि हैं मां मैने जो पूजा की है उसे आप स्वीकार कर मुझे आशीर्वाद दीजिए तो भगवती गोमाता आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेगी और स्वामीजी ने बताया कि अगर किसी भी प्रकार की पंचोपचार पूजा के साधन घर में न हो तो गोमाता के गव्य दही से पूजा कर दीजिए पूजा का सारा फल आपको मिल जाएगा क्योंकि आजकल बाजार में जो भी पूजा सामग्री मिल रही है उन सब में मिलावट रहती है इसलिए गोमाता का दही सौम्य पुष्प के रूप में पूजा के लिए उपयोगी होता है ।
 पूज्य स्वामीजी ने गोमाता के गोबर की महिमा के बारे में बताते हुए कहां कि जब से हमारे ऊपर पश्चिम संस्कृति एवं मैकाले शिक्षा पद्धति का प्रभाव पड़ा है तब से एक गोबर के बारे में एक भ्रांति फैलाई जाती है अर्थात कोई भी काम बिगड़ जाता है तो उस समय गुड़ गोबर हो गया है इस प्रकार की कहावत कही जाती है जबकि गोबर की महिमा के बारे में तो वराह पुराण में साक्षात नारायण पृथ्वी माता को बताते है कि जो कोई किसी भी देवालय को लीपने के लिए जितने कदम चलकर गोबर लाता है उतने हजार कदमों तक उसके स्वर्ग में निवास मिलता है और उसके बाद उसे साल्वदीप में 12000 वर्ष तक राज करने का अवसर मिलता है क्योंकि साल्वदीप में रहने वालों की आयु 12000 वर्ष की आयु होती है ।




*देशभर में जितने भी युवा एवम् गोप्रेमी सज्जन बीमार गोमाता की सेवा कर रहें है ,उन्हें दवाइयों की समस्याओं से जूझना पड़ता है उनकी दवाओं की समस्याओं के समाधान के लिए पूरे देश में चलने वाले गो चिकित्सालयों की दवाई की समस्या के समाधान के लिए *दवा देवी फाउंडेशन* का गठन साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती जी के मार्गदर्शन में हुआ और उसके बीजारोपण में बलराम जी चौधरी,मालाराम जी चौधरी, नरेन्द्र जी चौधरी, पण्डित किरण जी आचार्य एवं किरणकृष्ण जी मुखियाजी उक्त पंच स्तम्भ साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती दीदी का सहयोग करेंगे उक्त घोषणा पूज्य स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने गोबर पीठ से की*


*231 वे दिवस पर हनुमान राठौर कोटा, भरत राठौर रामगंजमंडी, श्यामसिंह रमाय दलपत, भगवान सिंह राठौड़, जगदीश शर्मा बिस्तुनिया, मनीष राठौर, जितेन्द्र सिंह, बाल चंद एवं मुमताज आदि अतिथि उपस्थित रहें*


 


*231 वे दिवस पर चुनरीयात्रा राजस्थान के झालावाड़ जिले की ओर से * 
 एक वर्षीय गोकृपा कथा के 231 वें दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान की डग तहसील के रतनपुरा ग्राम की महिला मंडल की और से अपने परिवार की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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भारतीय देशी बीज संरक्षण के कारण ही भारत सोने की चिड़िया कहलाता था*


सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित गो रक्षा वर्ष के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 232 वे दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि भारतीय संस्कृति बीजों को संरक्षित करने की रही है । पूर्व में भी भारतीय बीज लुप्त हो गए थे लेकिन राजा पृथ्यू ने पृथ्वी को गो रूपिणी बनाकर पुनः बीज प्राप्त किया था जिसका वर्णन श्रीमद भागवत में महर्षि वेदव्यास जी ने किया है । बीज से मंत्र सुरक्षित है, बीज से सृष्टि सुरक्षित है लेकिन विदेशी कंपनियों के मकड़जाल एवं लोकतंत्र के जनविरोधीनियमों की उदासीनता के चलते बीजों पर कुछ लोगों का कब्जा हो गया है अर्थात उन कंपनियों द्वारा ऐसे बीज तैयार कर रहें है जो स्वयं तो पैदा हो जाते है लेकिन उनके बीज दुबारा नहीं उगते है जिन्हें बांझ बीज भी कहते है।20 रूपए की बीज को किसान पांच सो रूपए में खरीदने को मजबूर होता है और उस बीज को दूसरी बार बौने से कुछ पैदा नहीं होता है इन विपरीत परिस्थितियों में परम्परागत जो लाखों वर्षों से बीजों को को सुरक्षित रखने की परम्परा रही जिसके कारण भारत की कृषि समृद्ध रहीं है और उसी के कारण भारत सोने की चिड़िया रहा है और उस समय भारत में इतनी कृषि हुआ करती थी उससे अपना सारा खर्च कर बचा हुआ धन सोने में निवेश करता था जिसके कारण ही भारत सोने की चिड़िया कहलाता था जिसके कारण भारत में पर्याप्त सोना हुआ करता था जिसके कारण ही भारत सोने की चिड़िया कहलाता था जिसका मूल आधार बीज ही था ।
स्वामीजी आगे बताया कि अमृत की दाता गायमाता ही है रूखा सूखा तृण खाती है ओर बदले में अमृत प्रदान करती है चाहे वह पय के रूप में है चाहे गोमय के रूप है चाहे वह गोमूत्र के रूप में है तीन प्रकार से अमृत की वर्षा करने वाली भगवती गोमाता भारत को विष से बचा भी सकती है और पुराने विष का समन भी कर सकती है अर्थात पुराने विष का समन कर भारत भूमि को अमृत बना सकती है । इसलिए हम पुनः गायमाता के गोबर,गोमूत्र एवं छाछ का उपयोग कर प्राकृतिक रूप से भारतीय कृषि को बढ़ाकर हमारी कृषि को अमृत बरसा सकती है ।


*232 वे दिवस पर भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय बीज प्रमुख श्री कृष्ण मुरारी जी भाईसाहब भटिंडा एवं श्री पवन टांक , श्री राम शान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र कोटा व उनकी श्रीमती दुर्गा टांक एवं पिड़ावा के पूर्व विधायक मानसिंह चौहान के सुपुत्री मदन सिंह चौहान मुख्य अतिथि एवं गजेन्द्र कुमार शर्मा, सुरेश चन्द शर्मा ग्राम झुमकी (झालावाड़) कालूराम महाराज, कन्हैया लाल जी पुजारी ठिकरिया अतिथि उपस्थित रहें*




 *विगत देवउठनी एकादशी को सालरिया ग्राम के श्रीराम मन्दिर में विराजित शालिग्राम जी भगवान के साथ गो अभयारण्य के प्रबन्धक शिवराज शर्मा एवं श्रीमती मधुबाला ने मां तुलसी के भाव माता पिता के रूप में विवाह करवाया था आज एकादशी के पुण्य पर्व सालरिया ग्राम के गो भक्त प्रेमीजन विशाल जुलूस के साथ नाथू सिंह जी, रामलाल जी भगत जी, भरत शर्मा , रामचंद्र पुजारी,लाल सिंह,,श्याम सिंह, बने सिंह एवं हेमराज आदि मां तुलसी को ठाकुर जी के साथ गो अभयारण्य में अपने पीहर पधारी जिनका आचार्य किरण जी एवं मुखिया किरण कृष्ण जी व मधुबाला शिवराज शर्मा ने स्वागत कर कथा मंच पर विराजित किया*


*232 वे दिवस पर चुनरीयात्रा मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले की ओर से * 
 एक वर्षीय गोकृपा कथा के 232 वें दिवस पर चुनरी यात्रा मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले की सुसनेर तहसील के मैना ग्राम स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के बालक बालिकाओं द्वारा विद्यालय के प्रधानाचार्य नंदकिशोर शर्मा एवं शिवनारायण कटारिया,, मानसिंह कटारिया, रामकिशन दामडिया, कमल सिंह, हेमसिंह सिसोदिया एवं भारती जी वर्मा आदि आचार्यों व सालरिया ग्राम के लाल सिंह जी के परिवार से उनके सुपुत्र बने सिंह ,शयन सिंह ने अपने परिवार एवं ग्राम मंडल की मातृशक्ति , युवा एवं पंच पटेलो की और से अपने परिवार की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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